खुसूर-फुसूर माले मुफ्त दिल –ए-बेरहम छोटी राशि पर इमानदारी और बडी देखते ही सब गोलमाल है। माले मुफ्त दिल –ए-बेरहम

खुसूर-फुसूर

माले मुफ्त दिल –ए-बेरहम

छोटी राशि पर इमानदारी और बडी देखते ही सब गोलमाल है। माले मुफ्त दिल –ए-बेरहम

के हाल एक बार फिर सामने आए हैं। हाल ही में प्रदेश में एक मामले में वर्दी वाली एक द्वितीय श्रेणी की अधिकारी पर गाज गिरी है। उनके साथ मातहतों ने भी हवाला के माल पर हाथ साफ करने का एक ऐसा काम अंजाम दे दिया जिसकी खबर मिलने के बाद मुख्यालय से लेकर जिले तक गोलमाल की चर्चा है। यही नहीं प्रदेश के अधिकांश जिलों में भी इस गोलमाल की चर्चा चटखारे लेकर की जा रही है। कुछ वर्ष पूर्व उज्जैन में भी ऐसा ही एक मामला हुआ था। संभवत: मामले को अधिकांश लोग भूला बैठे होंगे। उस दौरान भी नोटों से भरी एक कार इंदौर से उज्जैन आते समय रात में रोकी गई थी। वही द्वितीय श्रेणी के अधिकारी का मसला और साथ में मातहत। हुबहु वैसा ही मामला जैसा वर्तमान में चर्चाओं में है। मामले में जमकर उठापटक मची और तत्कालीन स्तर पर जांच भी बैठाई गई थी। जांच हुई और बाद में सब कुछ साफ भी हो गया। यानिकी क्लीन चीट भी मिल गई । वैसे हालिया मामले में अभी निलंबन की कार्रवाई हुई है। अभी जांच होना शेष है। पूर्व मामले की तरह ही अभी उसमे वो सब भी होना शेष है जो यहां हुआ था और अब वहां होना शेष है। प्रदेश मुखिया ने गोलमाल पर सख्त कदम उठाया है। उज्जैन में ऐसा सख्त कदम नहीं उठा था। मामले को जल्द से जल्द ठंडा करने की कवायद यहां जमकर हुई थी। मुखिया ने द्वितीय स्तर के साहिबान से लेकर 9 को सीधे वर्दी उतारने के आदेश दिए हैं। इस बार उम्मीद है कि पिछली बार की तरह वाले हाल नहीं होंगे। खुसुर –फुसूर है कि माले मुफ्त दिल- ए-बेरहम के हाल होते हैं उस माल के जिसका धणी-धोरी नहीं होता। जिस माल का मालिकाना हक ही नहीं हो उसमें आखिर सामने आएगा कौन और आएगा तो फिर जेल जाएगा कौन ऐसे में तो बस अभी ही कार्रवाई होना है जिससे की अनुशासन की स्थिति बनी रहे। पूर्व में भी यही सवाल उठा था कि मालिकाना हक लेकर आएगा कौन और आएगा तो फिर जेल जाएगा

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